दुर्भाग्यपूर्ण: हर साल होता करोड़ों रुपए का बजट पास,घंटाघर के घंटे का नही होता उद्धार
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अलीगढ़ अतरौली: घंटाघर किसी भी शहर की पहचान होती है घंटाघर के नाम से यह ज्ञात होता है कि ऐसी जगह जहां कोई एक ऊंची मीनार के ऊपर चारों दिशाओं में घड़ी- घंटा लगा हो,जो लोगों को समय का आभास कराता हो उसे घंटाघर कहते हैं।
जी हां हम बात कर रहे हैं अलीगढ़ जनपद के अतरौली नगर के बीचों- बीच स्थित घंटाघर की। इसमें चारों दिशाओं में चार घड़ियां लगी हुईं हैं, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि लगभग चार दशक से यह बंद पड़ी हुई है। चार दशक बीत जानें के बाद भी घंटाघर के चारों दिशाओं में लगाईं गई घड़ियां एक समय नहीं बता सकी। चारों दिशाओं की घड़ी की सुइयां अलग-अलग समय पर रुकी हुई है। अतरौली की धरोहर कहे जाने वाला घंटाघर आज शोपीस बनकर रह गया है दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि घंटाघर के नीचे बनी दुकानों का हर साल का किराया शुल्क लाखो रुपए नगर पालिका वसूलती है, और शहर के विकास के लिए करोड़ों रुपए का बजट पास होता है। मगर घंटाघर के घंटे का उद्धार नहीं हो सका और आज यह शोपीस बनकर रह गया है। और इसकी इमारत झज्जर हो गई है।नगर पालिका की तरफ से समय-समय पर ऐतिहासिक घंटाघर पर रंग रोगन तो कर दिया जाता है।परन्तु बंद पड़ी चारों दिशाओ की घड़ियो की सुध नहीं ले रहा है। घंटाघर का मुद्दा चुनाव में भी हावी रहता है, चुनाव हो जाने के बाद अधिकारी और जनप्रतिनिधि इसकी सुध तक नहीं लेते।
कल्याण सिंह ने दिए थे एक लाख रुपए
लोग बताते हैं कि 1995 में तत्कालीन चेयरमैन रहे स्वर्गीय तुलसी प्रसाद के कार्यकाल में मुख्यमंत्री रहे बाबूजी स्वर्गीय कल्याण सिंह ने ऐतिहासिक धरोहर घंटाघर के उद्धार के लिए एक लाख रुपए दिए थे उस समय इसकी मरम्मत कराई गई थी और चारों घड़ियों को सही कराया गया था, उस समय लोगो को घंटाघर के समय का आभास हुआ था। वह भी कुछ समय बाद बंद हो गई थी।

नगर पालिका परिषद कार्यालय से घंटाघर की दूरी महज चार कदम फिर भी जिम्मेदारों की नजरो से ओझल क्यों?
नगर पालिका परिषद कार्यालय अतरौली से घंटाघर की दूरी महज चार कदम पर है, नगर पालिका से निकलते ही या फिर परिषद में बैठे Ac कमरों से भी घंटाघर बखूबी नजर आता है। लेकिन अधिकारियों और कर्मचारियों को अब तक नजर क्यों नहीं आया कि घंटाघर की सुइयां बंद है,जबकि आने जाने वाले इन घड़िओ को देख भ्रमित होते हैं।

बंद घड़ी अशुभ और विकास में भी बाधक
वास्तु शास्त्र और पुरानी मान्यताओं के अनुसार बंद घड़ी अशुभ मानी जाती है। तथा विकास में रुकावट का भी प्रतीक माना जाता है।इसके बाद में इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अधिकारी और जनप्रतिनिधि इसको ठीक करने का आश्वासन देकर भूल जाते हैं।

क्या बोले आधिकारी
नगर पालिका अतरौली की अधिशासी अधिकारी (ईओ) श्रीमती वंदना शर्मा से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि घंटाघर में लगी घड़ियां पुराने मॉडल की है अब ना तो इनका मिस्त्री मिल रहा है और ना ही इसका सामान मिल रहा है,अब नई मशीन मगाई जाएगी और जल्द से जल्द इसे सही करा दिया जाएगा।
अब देखना यह होगा कि अधिशासी अधिकारी के कहने के बाद अब कितने दिनों में घंटाघर की घड़िओ का समय सही होता है।
