श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन राजा परीक्षित के प्रसंग सुन भाव-विभोर हुए भक्त
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गांव सफीपुर में हरिओम गिरी महाराज के सानिध्य में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन शुक्रवार को कथा व्यास पंडित गौरव देव जी महाराज ने राजा परीक्षित संवाद, शुकदेव जन्म सहित अन्य प्रसंग सुनाया। कथा व्यास ने शुकदेव परीक्षित संवाद का वर्णन करते हुए कहा कि एक बार परीक्षित महाराज वन में चले गए। उनको प्यास लगी तो समीक ऋषि से पानी मांगा। ऋषि समाधि में थे, इसलिए पानी नहीं पिला सके। परीक्षित ने सोचा कि साधु ने अपमान किया है। उन्होंने मरा हुआ सांप उठाया और समीक ऋषि के गले में डाल दिया। यह सूचना पास में खेल रहे बच्चों ने समीक ऋषि के पुत्र को दी। ऋषि के पुत्र ने शाप दिया कि आज से सातवें दिन तक्षक नामक सर्प आएगा और राजा को जलाकर भस्म कर देगा। समीक ऋषि को जब यह पता चला तो उन्होंने दिव्य दृष्टि से देखा कि यह तो महान धर्मात्मा राजा परीक्षित हैं और यह अपराध इन्होंने कलियुग के वशीभूत होकर किया है। समीक ऋषि ने जब यह सूचना जाकर परीक्षित महाराज को दी तो वह अपना राज्य अपने पुत्र जन्मेजय को सौंपकर गंगा नदी के तट पर पहुंचे। वहां बड़े ऋषि, मुनि देवता आ पहुंचे और अंत में व्यास नंदन शुकदेव वहां पहुंचे। शुकदेव को देखकर सभी ने खड़े होकर उनका स्वागत किया। कथा सुनकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए।
इस अवसर पर अशोक कुमार शर्मा,हरि प्रकाश ,ओमवीर , जुगेंद्र सिंह, चतुरी सिंह, चंद्रपाल, गोपाल सिंह ,आकाश भारद्वाज, सुनील बघेल और सैकड़ो की संख्या में महिला श्रद्धालु उपस्थित रही।
