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14 अगस्त ‘‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’’ पर अभिलेख-पुस्तक प्रदर्शनी का हुआ आयोजन

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14 अगस्त ‘‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’’ पर अभिलेख-पुस्तक प्रदर्शनी का हुआ आयोजन

विभाजन विभीषिका में अपने प्राण गंवाने वालों को मौन रखकर दी श्रद्धांजलि

जनसामान्य ने देखी ‘‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’’ पर लगी चित्र, साहित्य एवं अभिलेख प्रदर्शनी

भारत का विभाजन मानव विस्थापन और मजबूरी में पलायन की दर्दनाक कहानी

अलीगढ़ 14 अगस्त 2024 (सू0वि0) स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर 14 अगस्त को ‘‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’’ पर दरबार हाल में ‘‘ साहित्य, अभिलेख व चित्र प्रदर्शनी’’ का मा0 जनप्रतिनिधिगणों द्वारा फीता काटकर उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर मा0 जनप्रतिनिधिगण, अधिकारियों एवं विस्थापित परिवारों के सदस्यों द्वारा विभाजन में अपने प्राणों की आहूति देने वालों को मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गयी। प्रदर्शनी के उद्घाटन के उपरांत मा0 जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों व विस्थापित परिवारों के सदस्यों द्वारा अवलोकन भी किया गया।
‘‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’’ कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मा0 विधायक कोल श्री अनिल पाराशर ने कहा कि विभाजन विभीषिका की जितनी भी निंदा की जाए कम है। ‘‘देश के बटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
मा0 एमएलसी डॉ0 मानवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि 14 अगस्त 1947 को जो दंश देशवासियों ने झेला था, उसकी याद हर व्यक्ति को झकझोर देती है। उन्होंने समय-समय पर घटित घटनाओं को याद करते हुए कहा कि विभाजन के समय की कल्पना करना संभव नहीं। इस दौरान उन्होंने मोदी जी के प्रयासों से दूसरे देश के शरणार्थियों को नागरिकता दिए जाने के लिए केंद्र सरकार की सराहना की।
मा0 एमएलसी चौ0 ऋषिपाल सिंह ने कहा कि विभाजन के दौरान जो अपूर्णीय क्षति हुई इतिहास में कभी नहीं हुई। नफरत, हिंसा, आगज़नी की वजह से हमारे लाखों बहिनों और भाईयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गवानी पड़ी। मा0 प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से लोगों के संघर्ष एवं बलिदान की याद में 14 अगस्त को ‘‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’’ के तौर पर मनाया जा रहा है, ताकि इस दौरान प्राणोत्सर्ग करने वालों को श्रद्धांजलि दी जा सके।
मा0 जिलाध्यक्ष कृष्णपाल सिंह ने कहा कि देश को विभाजन का पता तब चला जब 04 जून 1947 को माउण्टबेटेन ने पत्रकार वार्ता कर इसकी जानकारी दी। ‘‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’’ की पृष्ठ भूमि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारत का विभाजन अभूतपूर्व मानव विस्थापन और मजबूरी में पलायन की दर्दनाक कहानी है।
मा0 महानगर अध्यक्ष इंजी0 राजीव शर्मा ने कहा कि हमें आने वाली पीढ़ी को बताना होगा कि हमें आजादी कैसे मिली। हमें आवश्यकता है कि हम इतिहास की गलतियों को न दोहराएं। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने विभाजन का दर्द झेला है वह इसे कभी याद नहीं करना चाहेंगे। भारत के इस भौगोलिक बॅटवारे में देश के लोगों को सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं मानसिक तौर पर पूरी तरह से झकझोरा ही नहीं बल्कि बरबाद कर दिया था।
मा0 जिला महामंत्री पं0 शिव नरायन शर्मा ने कहा कि मोदी सरकार से पहले इस तरह के कार्यक्रम नहीं होते थे। यह वही व्यक्ति सोच सकता है, जिसको राष्ट्र से प्रेम हो। हमने अपने पूर्वजों से विभाजन के किस्से सुने हैं, वह बहुत ही भयावह मंजर था। उन्होंने कहा कि जब हिन्दुस्तान का बंटवारा हुआ और देश के दो टुकडे हो गये। देश की आजादी के लिये सबकुछ न्योछावर कर देने वाले हमारे पूर्वज विभाजन की वजह से आजादी की वास्तविक खुशी हासिल नहीं कर सके। लाखों लोग बेघर हो गये।
प्रोफेसर अर्जुन चावला ने बताया कि विभाजन के समय वह 16 वर्ष के थे। त्रासदी के समय पंजाब और बंगाल से जो ख़बरें आ रहीं थीं वह रूह कंपा देने वाली थीं। विभाजन की त्रासदी को याद अवश्य करें और शपथ लें कि ऐसी त्रासदी फिर कभी न हो। सरदार भूपेंद्र सिंह जत्थेदार ने बताया कि विभाजन के दौरान उनका परिवार पाकिस्तान के सरगोधा में था। विभाजन की घटना इतनी दर्दनाक थी कि सोचते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। बयान करना बहुत मुश्किल है। 3 जून 1947 से ही हालात खराब होना शुरू हो गए थे। उनके परिवार ने गुरुद्वारे में शरण ली और फिर वहीं से भारत की ओर रूख कर लिया। भारत आकर विभिन्न शहरों से होते हुए अलीगढ़ की जानकीबाई धर्मशाला में आकर रहे और फिर यहीं पर अपनी आजीविका शुरू की। ओमप्रकाश राजानी ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाए जाने के लिए केन्द्र व प्रदेश सरकार के साथ ही जिला प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पूर्वजों के अनुसार यह त्रासदी रूह कंपाने वाली थी। सुरेन्द्र शर्मा ने इतिहास के पन्नों को पलटते हुए बताया कि अलीगढ़ में पहली फाँसी उदैय्या साहब को दी गई। उन पर 50 हजार का इनाम घोषित किया गया। इसी प्रकार देवदत्त कलंकी जी के परिवार ने भी आज़ादी का ताना-बाना बड़े जोश से बुना था। सरदार दलजीत सिंह ने कहा कि विभाजन के समय माता-पिता की उम्र 17-18 वर्ष थी। जब भी वह विभाजन के वक्त की दुःखद यादों को बताते थे, रो उठते थे, उनके आंसू रुकते नहीं थे। सिंधी और सिख समाज आयोजन के लिए सरकार का धन्यवाद देता है। उन्होंने काफी दुखद वृतांतों को भी साझा किया। कार्यक्रम का संचालन एसआरजी बेसिक शिक्षा संजीव शर्मा द्वारा किया गया।
इस अवसर पर जिलाधिकारी विशाख जी0, सीडीओ आकांक्षा राना, एडीएम सिटी अमित कुमार भट्ट, एडी सूचना संदीप कुमार, डीपीआरओ धनंजय जायसवाल, पूर्व जिलाध्यक्ष ठा0 गोपाल सिंह, समेत विस्थापित परिवारों से राजेन्द्र सिंह,  अजीत सिंह, सिदक सिंह, हरमेन्द्र सिंह जुनेजा, अनमोल जुनेजा, कामेश गौतम, अभय सिंह, जसवीर सिंह, इकबाल सिंह, बसंत राजानी, जतिन केशवानी, भगवानदास मोटवानी, शंकर मखीजा, चरनजीत सिंह, रौताश कुमार, अनिल ठाकुर, विक्रम ठाकुर, अर्जुन बम्बानी, भगवानदास बम्बानी, दिलीप कुमार, अशोक कुमार, मुकेश राजानी, पवन सचदेवा, अनिल ठाकुर समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।
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ROOPENDRA KUMAR
Author: ROOPENDRA KUMAR

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