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पेंशनर या पारिवारिक पेंशनर की मृत्यु की दशा में तत्काल कोषागार को वस्तुस्थिति से कराएं अवगत

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पेंशनर या पारिवारिक पेंशनर की मृत्यु की दशा में तत्काल कोषागार को वस्तुस्थिति से कराएं अवगत



परिजन मृतक पेंशनर या पारिवारिक पेंशनर के खातों में अधिक भुगतानित धनराशि को एटीएम या अन्य माध्यमों से न निकालें



अलीगढ़ 21 अगस्त 2024 (सू0वि0): जनपद कोषागार द्वारा पेंशनरों (सिविल,बेसिक, माध्यमिक, उच्च शिक्षा,विद्युत) का भुगतान किया जाता है। वर्ष में एक बार पेंशनरों एवं पारिवारिक पेंशनरों द्वारा जीवित प्रमाण पत्र कोषागार में प्रेषित किया जाता है जो एक वर्ष के लिए वैध या मान्य रहता है। इस दौरान कोषागार द्वारा निरन्तर एक वर्ष तक पेंशन प्रेषित की जाती रहती है। इस बीच अगर किसी पेंशनर या पारिवारिक पेंशनर की मृत्यु हो जाती है तो नियमानुसार पारिजनों द्वारा मृत्यु की सूचना तत्काल कोषागार को प्रेषित की जानी चाहिए, किन्तु कतिपय प्रकरणों में परिजनों द्वारा कोषागार को सूचना समय से प्रेषित नहीं की जाती है, जिससे अतिरिक्त पेंशन का भुगतान मृतक पेंशनर या पारिवारिक पेंशनरों के खातों में हो जाता है जिसकी वसूली की कार्यवाही कोषागार द्वारा की जाती है जोकि एक लम्बी प्रकिया है इस प्रकिया में कोषागार का समय तो लगता ही है परिजनों को भी अनावश्यक रुप से परेशान होना पड़ता है कई बार परिजन मृतक पेंशनर या पारिवारिक पेंशनर के खातों में अधिक भुगतानित धनराशि को एटीएम या अन्य तरीके से निकाल लेते है जोकि एक अपराधिक कृत्य है जिसके खिलाफ कठोर कार्यवाही अमल में लाई जा सकती है।

वरिष्ठ कोषाधिकारी योगेश कुमार ने उक्त जानकारी देते हुए सर्वसाधारण को सूचित किया है कि पेंशनर या पारिवारिक पेंशनर की मृत्यु की दशा में तत्काल समय से कोषागार को वस्तुस्थिति से अवगत करायंे एवं अतिरिक्त पेंशन का भुगतान कोषागार द्वारा हो गया हो तो उक्त धनराशि का बैंक ड्राफ्ट सम्बन्धित बैंक खाते के माध्यम से कोषागार में प्रेषित करने में सहयोग करें। किसी भी स्थिति में परिजन एटीएम या अन्य किसी माध्यम से पेंशन की धनराशि खातों से न निकालें। चूँकि प्रकरण शासकीय धन की क्षति से जुड़ा है। अतः ऐसे परिजन जिन्होंने पेंशनर या पारिवारिक पेंशनरों के खातों में अतिरिक्त प्रेषित धनराशि का उपभोग कर लिया है, और जिसे वह वापिस नहीं कर रहे हैं, के विरुद्ध उक्त धनराशि की वसूली भू-राजस्व की भाँति की जायेगी, जिसके लिए वे स्वयं उत्तरदायी होगें।

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ROOPENDRA KUMAR
Author: ROOPENDRA KUMAR

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