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जैसा खाओगे अन्न, वैसा ही होगा मन – पंकज कृष्ण महाराज

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रूपेन्द्र कुमार अतरौली

अतरौली के गांव फजलपुर में श्रीमद् भागवत कथा में कथा व्यास पंकज कृष्ण महराज ने बताया कि माता सती के पिता दक्ष ने एक विशाल यज्ञ किया था और उसमें अपने सभी संबंधियों को बुलाया। लेकिन बेटी सती के पति भगवान शंकर को नहीं बुलाया। जब सती को यह पता चला तो उन्हें बड़ा दुख हुआ और उन्होंने भगवान शिव से उस यज्ञ में जाने की अनुमति मांगी। लेकिन भगवान शिव ने उन्हें यह कहकर मना कर दिया कि बिना बुलाए कहीं जाने से इंसान के सम्मान में कमी आती है। लेकिन माता सती नहीं मानी और राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में पहुंच गई। वहां पहुंचने पर सती ने अपने पिता सहित सभी को बुरा भला कहा और स्वयं को यज्ञ अग्नि में स्वाहा कर दिया। जब भगवान शिव को ये पता चला तो उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोलकर राजा दक्ष की समस्त नगरी तहस-नहस कर दी और सती का शव लेकर घूमते रहे। भगवन विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े किए। जहां शरीर का टुकड़ा गिरा वहां-वहां शक्तिपीठ बनी। श्रीमद भागवत कथा के कथा व्यास पंकज कृष्ण जी व्यास (गाजीपुर) ने द्वितीय दिवस की कथा के दौरान ध्रुव चरित्र का वर्णन किया। पं. व्यास ने कहा कि नारद शिष्य ध्रुव ने अटल तपस्या से भगवान का मनमोह लिया। जिससे अपना और अपने परिवार का नाम अक्षय कर लिया। भागवत महामात्मय का प्रसंग आगे बढा़ते हुए उन्होंने कहा कि भागवत ही भगवान है। भागवत भगवान का अक्षरावतार है। वक्ता श्रोता के धर्म को विवेचना करते हुए बताया कि वक्ता का चरित्र स्वच्छ होना चाहिए, वहीं श्रोता भगवान के प्रति समर्पित होना चाहिए। वक्ता प्रेरणा का पुंज होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान जीव का उद्धार करते हैं। द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र में पांडवों के वंशवली का सुन्दर वर्णन किया। व्यास ने अपने व्याख्यान में बताया कि जैसा खाओगे अन्न, वैसा ही होगा मन, कथा को आगे बढ़ाते हुए युधिष्ठिर द्वारा प्रश्न प्रसंग का भी सुंदर वर्णन किया। कथा के दौरान फजलपुर क्षेत्र से बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित रहे। आचार्य शिवा दिक्षित, आचार्य विकास जी आचार्य नवनीत जी पण्डित देव कृष्ण, आचार्य प्रदीप, चरण सिंह, संजू सिंह, जसवंत, योगी जी, मनोज, मुकेश, सुनील, प्रमोद, प्रेमपाल सिंह, रंजीत सिंह, परमसुख, बहादुर सिंह आदी लोग मोजूद रहे।

ROOPENDRA KUMAR
Author: ROOPENDRA KUMAR

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